कैशलेस फैसिलिटी हेल्थ इंश्योरेंस में किस तरह काम करता है

Health Insurance Cashless Claim Process

जीवन में बीमारियाँ बता कर नहीं आती। न चाहते हुए भी ये हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे ही देती हैं। ऐसे समय में वरदान बन कर सामने आता है हेल्थ इंश्योरेंस  का “कैशलेस फैसिलिटी”।

यदि समय रहते आपने किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस  कम्पनी का इंश्योरेंस  प्लान ले रखा है तो आपको इस मुसीबत की घडी में भी चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

Health Insurance & Why it is important


कैशलेस सुविधा का लाभ आप दोनों परिस्थितियों में ले सकते हैं - पहला जब इमरजेंसी की हालत में अस्पताल में भर्ती होना पड़े, और दूसरा जब पहले से  तय करके , तैयारी के साथ अस्पताल में भर्ती हो रहे हों। चाहे परिस्तिथि कोई भी हो, सबसे पहला काम जो करना है वह है -अस्पताल के इंश्योरेंस  डेस्क से संपर्क करना और "प्री -ऑथोराइज़ेशन  रिक्वेस्ट फॉर्म"  भरना। प्रारंभिक कैशलेस अप्रूवल के लिए "प्री -ऑथोराइज़ेशन  रिक्वेस्ट फॉर्म" सावधानी के साथ सही प्रकार से  भरना चाहिए, नहीं तो इंश्योरेंस  कंपनी कमियां बता कर इसे कैंसिल कर सकती हैं। प्री-ऑथोराइज़ेशन कैशलेस क्लेम का बहुत महत्वपूर्ण चरण है जहाँ इंश्योरेंस  कंपनी कैशलेस क्लेम की प्रारंभिक मंजूरी देना स्वीकार करती है। 

यदि आप पहले से तय करके अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं, तो "प्री -ऑथोराइज़ेशन रिक्वेस्ट फॉर्म" कुछ दिन पहले ही भर कर जमा कर देना चाहिए, और आवेदन स्वीकार  होने तक  पता लगाते रहना चाहिए, उसके बाद ही अस्पताल मे भर्ती होना उचित है।

इसके बाद बारी आती  है “थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर“ यानी TPA की, जो अस्पताल और हेल्थ इंश्योरेंस  कंपनी के बीच मध्यस्थ  का काम करता है।  इसका काम अस्पताल में हुए इलाज पर खर्चे का हिसाब इंश्योरेंस  कंपनी और अस्पताल के बीच सेटल करना  है।

 कैशलेस क्लेम के भुगतान का आखिरी चरण तब होता है जब मरीज़ अस्पताल से डिस्चार्ज होता है। मरीज़ की डिस्चार्ज समरी अस्पताल के सभी बिल के साथ इंश्योरेंस  कंपनी के TPA को भेजा जाता है और यदि सभी कागज़ जाँच के बाद ठीक पाए जाते हैं, तो इंश्योरेंस  कंपनी अपने आप अस्पताल को भुगतान कर देती है।


कैशलेस इलाज कहाँ मिलता है -
जिस कंपनी का हेल्थ  इंश्योरेंस  आपने लिया है उसके नेटवर्क में जितने भी अस्पताल आते हैं, वहाँ कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है । नेटवर्क अस्पतालों की पूरी लिस्ट इंश्योरेंस  कंपनी के वेबसाइट पर उपलब्ध होती है।  इंश्योरेंस  कंपनी इलाज की सुविधाओं को जाँच परखकर बेहतरीन सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालोँ  को चुनती है और उनके साथ समझौता करती है, कि जो भी  व्यक्ति उनके इंश्योरेंस  प्लान से जुड़े हुए हैं, समय आने पर उनको नेटवर्क अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी।

Benefits of Health Insurance


कैशलेस क्लेम कब नहीं मिलता -
•    यदि आप नॉन - नेटवर्क हॉस्पिटल में इलाज करवाते हैं तो आपको कैशलेस क्लेम नहीं मिलता, परन्तु ज़रूरी बिल और कागज़ात समय पर, और सही तरीके से जमा करने पर पैसा आपको बाद में इंश्योरेंस  कंपनी से मिल जाता है।(रिइम्बर्स हो जाता है)
•    यदि अस्पताल से भेजी गई पॉलिसीहोल्डर की बीमारी से जुडी जानकारी पूरी न हो जिससे इंश्योरेंस  कंपनी किसी नतीजे पर पहुंच ही न सके कि क्लेम बनता है की नहीं। जैसे- बीमारी के कुछ लक्ष्ण  डॉक्टर को दिखाई दिए और मरीज़ को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, लेकिन मेडिकल जाँच शुरू होने पर कुछ और बीमारियाँ भी सामने आनी शुरू हुई जो इंश्योरेंस  में कवर नहीं है। ऐसी स्थिति में इंश्योरेंस  कंपनी के लिए इलाज का खर्चा उठाने का निर्णय लेने में मुश्किल हो सकता है।  
•    यदि वह बीमारी जिसके इलाज के लिए मरीज़ भर्ती है, वह इंश्योरेंस  प्लान में कवर ही नहीं है, या उस बीमारी का वेटिंग पीरियड चल रहा है । 
•    यदि प्री -ऑथोराइज़ेशन का रिक्वेस्ट समय पर नहीं भेजा गया, या उसे भरने में खामियाँ हों।
•    यदि उस साल के बीमा की पॉलिसी की रकम आप उस साल के अंदर पहले ही  इलाज कराकर खत्म कर चुके हैं।
कैशलेस बीमा करवाना ही काफी नहीं है, जरूरत के समय बीमा कंपनी द्वारा कैशलेस इलाज की स्वीकृति मिलनी भी ज़रूरी है। यदि इन महत्वपूर्ण बातों पर गौर किया जाए, और साथ ही साथ, इंश्योरेंस  कंपनी के टर्म्स एंड कंडीशंस को सही ढंग से पड़ा जाए तो समय आने पर कैशलेस इलाज की सुविधा आसानी से मिल जाती है।
लेख में लिखी गई बातें जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। इस विषय को गहराई से जानने के लिए बाजार में मौज़ूद हेल्थ इंश्योरेंस  कंपनियों से सीधे जानकारी प्राप्त करें।

Health insurance FAQ

 

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