हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस में से कौन सा ज्यादा जरुरी?

Health Insurance or Life Insurance which one is important

इंश्योरेंस का मतलब है किसी भी तरह के रिस्क को कवर करना, वह रिस्क जिसके साथ किसी भी तरह  का नुकसान जुड़ा हुआ हैं और जहाँ आर्थिक सुरक्षा की जरुरत है । इंश्योरेंस की लिस्ट में दो नाम सबसे ऊपर पाए जाते  हैं - हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस । इसकी वजह यह  है कि दोनों का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के जीवन और स्वास्थ्य से है। जान है तो जहान है।  और यदि जान तो है, लेकिन स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो वह जीवन को भली- भांति कैसे जी पायेगा और स्वास्थ्य में खराबी के चलते आगे जाकर उसके जीवन पर भी संकट के बादल छा सकते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस  के द्वारा जीवन में आने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी रिस्क को कवर किया जाता है और लाइफ  इंश्योरेंस जीवन के बाद अपने प्रियजनों के भविष्य की सुरक्षा करता है।

क्या होता है लाइफ इंश्योरेंस?

लाइफ इंश्योरेंस व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई प्रकार के रिस्क को इंश्योरेंस में कवर करने का काम करता है। इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को एक निश्चित रकम प्रीमियम के तौर पर लगातार तब तक देना होता है, जब तक इंश्योरेंस की अवधि होती है। यदि व्यक्ति की असमय मृत्यु हो जाती है तो इंश्योरेंस कंपनी उसके परिवार को इंश्योरेंस में तय धनराशि देता है, वहीँ अगर वह पॉलिसी की अवधि पूरी होने तक जीवित रहता है तो उसे प्रीमियम का पैसा ब्याज के साथ लौटा दिया जाता है। लाइफ इंश्योरेंस कई प्रकार के हैं जैसे टर्म इंश्योरेंस, होल लाइफ इंश्योरेंस, एंडोमेंट प्लान, यूनिट लिंक्ड प्लान और मनी बैक पॉलिसी। इसमें टर्म इंश्योरेंस सिर्फ और सिर्फ इंश्योरेंस देने का काम करती है, लेकिन इसकी अवधि निश्चित होती है, जैसे 10, 20, या 30 साल।  वहीँ होल लाइफ इंश्योरेंस पूरे जीवन भर का इंश्योरेंस देती है, जिसमें लोन लेने की भी सुविधा है। बाकि सभी प्लान में इंश्योरेंस भी है और बचत भी। 

हेल्थ इंश्योरेंस क्या होता है ?

हेल्थ इंश्योरेंस व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुडी समस्याओं को इंश्योरेंस में कवर करने का काम करता है। बीमारी या दुर्घटना के कारण अगर व्यक्ति इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होता है तो इंश्योरेंस कंपनी उसके इलाज का खर्चा उठाती है। हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ उठाने के लिए समय -समय पर इंश्योरेंस रिन्यू कराते रहना पड़ता है। अलग अलग जरूरतों के हिसाब से हेल्थ इंश्योरेंस भी कई प्रकार के हैं, जैसे  फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस, इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस, पर्सनल एक्सीडेंट प्लान, क्रिटिकल इलनेस प्लान, सीनियर सिटीजन प्लान आदि।

फ़ीचर्स के आधार पर हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस की तुलना

फीचर्स

लाइफ इंश्योरेंस

हेल्थ इंश्योरेंस

इंश्योरेंस का का मुख्य  कार्य

जीवन से जुड़े रिस्क को कवर करना

स्वास्थ्य  से जुड़े रिस्क को कवर करना

इंश्योरेंस में मिलने  वाला फायदा

  • मृत्यु के बाद नॉमिनी को एक बड़ी रकम प्राप्त  होती  है - परिवार को आर्थिक मदद , बच्चों की पढ़ाई , लोन का भुगतान जैसे बड़े खर्चे में मदद
  • जीवित रहने पर पॉलिसीहोल्डर को फायदा- लम्बे समय के बचत का साधन, बुढ़ापे में पेंशन
  • कई तरह की बीमारियों के कैशलेस इलाज की सुविधा
  • गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बीमारी के शुरुवात में एक साथ पैसों का बंदोबस्त।
  • दुर्घटना में इलाज की सुविधा

इंश्योरेंस की अवधि

लम्बे समय  तक चलने वाला इंश्योरेंस, लगभग 5 साल से 40 साल तक की अवधि का प्लान  उपलब्ध है।

छोटी अवधि का इंश्योरेंस , हर साल पॉलिसी  रिन्यू कराना पड़ता है।

 

लोन की सुविधा -

इंश्योरेंस के सरेंडर वैल्यू पर लोन की सुविधा

 

किसी प्रकार के लोन की सुविधा नहीं।

पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर मिलने वाला फायदा

बोनस के साथ पैसा मिलता है क्योंकि  इसमें इंश्योरेंस के साथ इन्वेस्टमेंट है।

कुछ नहीं मिलता क्योंकि इसमें केवल इंश्योरेंस है।

इनकम टैक्स  में छूट

सेक्शन 80 C के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है।

सेक्शन 80 D के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है।

 

इन दोनों प्रकार के इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में जानने के बाद यह तय कर पाना आसान नहीं है कि व्यक्ति को हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए या लाइफ

दरअसल इंश्योरेंस शब्द सुनने में तो छोटा है लेकिन उसका मतलब बहुत गहरा है। यह शब्द अपने अंदर न जाने कितने तरह के रिस्क को कवर करता है, और किसी भी व्यक्ति के जीवन की, और जीवन के बाद की समस्याओं का हल छिपाये बैठा है। जरुरत है तो इंश्योरेंस  को समझने की और सही ढंग से इसकी प्लानिंग करने की।

एक युवा जब अपने जीवन की पहली नौकरी पर होता है तो आमतौर पर उसकी पगार ठीक -ठाक ही होती है, और उसे भी ऐसा ही लगता है कि इतनी पगार में इंश्योरेंस का प्रीमियम भरने के लिए पैसा कहाँ से बचा पायेगा ।  लेकिन यहाँ पर  यह समझने की बात है कि इस समय वह उम्र के ऐसे दौर में है जहाँ  उसके ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन साथ ही साथ वह अपने माता पिता के लाइफ इंश्योरेंस  प्लान में भी कवर्ड नहीं रह सकता। दूसरी बात यह है कि जितनी कम उम्र में पॉलिसी लिया जायेगा, चाहे हेल्थ या लाइफ, या दोनों, प्रीमियम में पैसा भी कम देना पड़ेगा। अब अगर लाइफ इंश्योरेंस  के अलग- अलग प्लान को देखा जाये तो इसमें मिलने वाले टर्म प्लान का प्रीमियम सबसे कम होता है क्योंकि यह सिर्फ लाइफ इंश्योरेंस  देने का काम करता है। इसलिए बेहतर होगा कि  रोज़गार के शुरुवाती दौर में लाइफ इंश्योरेंस  के टर्म प्लान के साथ बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस  पॉलिसी ले लिया जाए क्यों कि बेसिक प्लान का प्रीमियम भी कम होता है, और इस उम्र के हिसाब से जरुरी हेल्थ इंश्योरेंस  भी इसमें कवर हो जाते हैं। यदि कंपनी ग्रुप मेडिकल पॉलिसी का कवरेज देती है तो यह स्थिति तो और भी बेहतर कहलायेगी।

इसके कुछ समय बाद पत्नी की जिम्मेदारी आ जाती है इसलिए  इंश्योरेंस  के  दायरे में पत्नी को भी शामिल करना जरुरी है, और हेल्थ इन्शुरन्स में इस समय मैटरनिटी बेनिफिट जरूर शामिल होना चाहिए क्योंकि पत्नी के बाद बच्चे जीवन में किलकारी ले कर आते हैं। अब यह  सही समय है लाइफ इंश्योरेंस  के चाइल्ड प्लान को पॉलिसी में शामिल करने का। बच्चों के  सुनहरे भविष्य की नींव तो शुरुवात से ही रखनी पड़ती है। अब आपकी इनकम भी पहले से ज्यादा है इसलिए बढ़ती ज़िम्मेदारियों को  भी इंश्योरेंस  के अंदर शामिल किया जा सकता है। अगर कंपनी ने हेल्थ इंश्योरेंस  की सुविधा परिवार के लिए दिया है तो उसके कवरेज को देखकर बाकी  जरुरी कवरेज टॉप अप कर लेना चाहिए।  अगर  परिवार को इस तरह की सुविधा नहीं दी गई है तो फैमिली फ्लोटर जैसा प्लान लिया जा सकता है जिसमें एक प्रीमियम के अंदर पूरे परिवार को हेल्थ इंश्योरेंस  मिल जाता है। 

समय का पहिया आगे बढ़ता है, उम्र बढ़ती जाती है, और इनकम भी। अब तक टर्म इंश्योरेंस भी ख़त्म होने वाला होता है। अब अगर चाहें तो उसे होल  लाइफ इंश्योरेंस  में बदल सकते हैं, या पेंशन प्लान या ULIP में भी निवेश कर सकते हैं, जिससे आगे चलकर निवेश का फायदा मिल सके। अब अगर चाहें तो

क्रिटिकल इलनेस राइडर भी ले सकते हैं ताकि कोई गंभीर बीमारी से सामना हो, उससे पहले ही वेटिंग पीरियड निकल जाये।

अब तक समय हो जाता है जब बच्चे अपनी पहली जॉब में होते हैं। यह समय है उनसे इंश्योरेंस  को लेकर अपने जीवन के अनुभव साझा करने का और उन्हें इंश्योरेंस प्लानिंग में मदद करने का।

यह सभी बातें तो उदाहरण मात्र हैं। अगर इंश्योरेंस की थोड़ी सी भी समझ है तो कोई भी व्यक्ति अपने जरुरत के हिसाब से हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस को आसानी से मिक्स एंड मैच कर सकता है।

हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस दोनों अपनी -अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं और एक दूसरे के पूरक भी हैं। एक जीवन को भरपूर जीने में मदद करता है, तो दूसरा अपने जाने के बाद भी प्रियजनों के जीवन से खुशियाँ दूर नहीं जाने देता। यदि व्यक्ति लम्बे समय तक जीवित है तो वह अपने प्रियजनों के सुख अपनी आंखों से देख सकता है, साथ ही उनके जीवन में आने वाली किसी भी समस्या को अपने प्रयासों से दूर कर सकता है, और यदि दुर्भाग्यवश जीवन का साथ छूट जाता है तो जीते जी यह तो तसल्ली रहती है कि लाइफ इंश्योरेंस के द्वारा अपने अपनों के जीवन को आर्थिक रूप से सुरक्षित कर दिया गया है।

यदि दोनों ही प्रकार के इंश्योरेंस को अपने जीवन में शामिल किया जाता है तो यह एक अच्छा निर्णय होगा।

 

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