ट्रेवल इंश्योरेंस क्लेम पाने का सही तरीका

Travel Insurance Claim Process

 

कोई भी व्यक्ति इंश्योरेंस  प्लान इस भरोसे पर लेता है कि आवश्यकता पड़ने पर इंश्योरेंस  कम्पनी उसे क्लेम जरूर देगी। जब हम क्लेम फाइल करते हैं तो उसका मतलब होता है कि हमारे साथ कोई दुर्घटना घटित हुई है या हमारा कुछ नुक़सान हुआ है ।

ऐसे में इंश्योरेंस  कंपनी का हमें हर्जाना देना बनता है ।इंश्योरेंस  कम्पनियाँ किये जाने वाले क्लेम को अपने तरीके से जाँचती और परखती हैं, और अगर वह उनके मापदण्डों पर ठीक बैठती है, तभी क्लेम दिया जाता है। सही तरीके से किया गया क्लेम कभी रिजेक्ट नहीं होता । लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है,  जैसे -  

Benefits of Travel Insurance

 
इंश्योरेंस  कंपनी को घटना की सूचना जल्द से जल्द देना - जैसे ही आप किसी हादसे का शिकार होते हैं, आपको जल्द से जल्द इंश्योरेंस  कंपनी को इस बात की सूचना देनी है। ज्यादातर कंपनियां चाहती हैं कि यात्रा के दौरान जो कुछ भी घटता है, उससे जुडी हर बात की सिलसिलेवार जानकारी उनको मिलती रहनी चाहिए। ऐसा करने से इंश्योरेंस  कंपनी को आपकी स्थिति की पूरी -पूरी जानकारी रहती है। इसके अलावा वह ऐसे समय में आपको हर संभव सहायता भी देगी और आगे जाकर आपको क्लेम फाइल करने में  भी आसानी होगी। इंश्योरेंस  कंपनी को अपने अलावा अपने किसी करीबी का नंबर जरूर देना चाहिए ताकि आपातकाल के समय यदि आपसे संपर्क न हो सके तो दूसरे नंबर पर सूचना पाने और देने में आसानी रहे ।


टर्म्स और कंडीशंस की अच्छी समझ होना – पॉलिसी लेते समय आपको इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि वो कौन सी परिस्तिथियाँ हैं जिनमें  क्लेम लेना बनता है। अक्सर ऐसा होता है कि जिस तरह की भाषा -शैली का उपयोग इंश्योरेंस  कंपनी अपने टर्म्स  और कंडीशन्स को लिखने में इस्तेमान करती हैं, वह समझ में नहीं आता। इसलिए बेहतर होगा कि कंपनी  के कस्टमर केयर से बात करके खुद को जानकार रखें । इस समय तक आपको मालूम होना चाहिए कि हवाई जहाज़ छूट जाने पर, सामान गुम  होने पर, या बीमार होने पर कब इंश्योरेंस  का क्लेम बनता है, और कंपनी उसका कितना कवरेज देती है।


जल्द से जल्द क्लेम फाइल करना - अगर आपकी तैयारी पूरी है, और वह सब जानकारियां जिनकी क्लेम लेने के दौरान जरुरत पड़ती है, वह आपके पास है, तो इंश्योरेंस  क्लेम जल्द से जल्द फाइल कर देना चाहिए। ज्यादातर इंश्योरेंस  कंपनियों की एक समय सीमा होती है जिसके अन्दर क्लेम फाइल करना होता है।


घटना के पक्के रिकॉर्ड रखना - क्लेम लेने की पूरी प्रक्रिया में यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है। परेशानी के दौर से गुज़रते हुए आप  जहाँ -जहाँ गए, जहाँ -जहाँ शिकायते दर्ज़ की ,उन सबका प्रमाण और पक्का सबूत आपके पास होना चाहिए, क्योंकि इंश्योरेंस  कंपनी सबसे पहले इन चीज़ों की ही माँग करती है। अपनी  बात को सही साबित करने के लिए आपके पास अस्पताल में किये गए खर्चे का असली रसीद, पुलिस में दर्ज रिपोर्ट की पक्की कॉपी, परेशानी की वजह से अगर होटल में रुकना पड़ा तो रहने और खाने का असली बिल, एयरलाइन्स की चूक का लिखित प्रमाण, इ- मेल, आदि होना चाहिए। ऐसे समय में क्रेडिट कार्ड आदि का इस्तेमाल बेहतर होता है क्योंकि उसका रिकॉर्ड आपके पास अपने आप उपलब्ध हो जाता है। परेशानी के समय जो भी आपके साथ होता है उसको साथ ही साथ लिखते भी जाना चाहिए क्योंकि कुछ छोटी -छोटी बातें आप कुछ समय बाद भूल जाते हैं जो क्लेम लेने के दौरान जरुरी हो सकती हैं।


अन्य बीमा कम्पनियों के कागज़ तैयार रखना - अगर आपके पास ट्रेवल इंश्योरेंस  के अलावा  हेल्थ इंश्योरेंस  या कोई अन्य इंश्योरेंस  भी है, तो क्लेम के समय इनके कागज़ भी तैयार रखने होंगे । इसका कारण यह है कि जिन चीज़ों का क्लेम किया गया है, उनमें से जो- जो बातें दूसरे इंश्योरेंस  में कवर होती हैं, उनका क्लेम पहले वहीँ फाइल किया  जायेगा। उसके बात ट्रेवल इंश्योरेंस  अपना क्लेम देती है। जैसे -सफर के दौरान चोरी हुए हैंडबैग में जो कीमती घडी थी वह अगर होम इंश्योरेंस  पॉलिसी में कवर्ड है, तो उसका क्लेम वहीँ से लिया जाएगा। सफर के बीच में अचानक तबियत ख़राब होने पर जिस बीमारी के  लिए आपको अस्पताल में भर्ती होना  पड़ा था, वह बीमारी अगर हेल्थ इंश्योरेंस  में कवर होता है तो उसका क्लेम वही से लिया जायेगा। इसी तरह अगर एयरलाइन्स की तकनीकी खराबी  की वजह से फ्लाइट कैंसिल हो जाती है तो इसका क्लेम देने की  पहली जिम्मेदारी एयरलाइन्स  की बनती है। अगर ऐसा नहीं भी होता , तो भी दो इंश्योरेंस  कंपनियों से बातचीत करने पर क्लेम का बेहतर फायदा आपको ही मिलेगा।
इंश्योरेंस  क्लेम पाने का तरीका सरल है, बशर्ते आप इंश्योरेंस  कंपनी के सामने सारी बातें पूरी सच्चाई के साथ रखें और उनके समर्थन में सबूत भी दें। इसके अलावा इंश्योरेंस  क्लेम का फॉर्म सावधानी के साथ भरना चाहिए और अगर उसमें कोई लाइन समझ नहीं आता तो कस्टमर केयर से मदद लेना चाहिए। अगर पॉलिसीहोल्डर अपनी तरफ से इन बातों का ध्यान रखता है तो कंपनी उसका क्लेम आगे प्रोसेस कर देती है। 
लेख में लिखी गई बातें जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। इस विषय को गहराई से जानने के लिए बाजार में मौज़ूद ट्रेवल इंश्योरेंस  कंपनियों से सीधे जानकारी प्राप्त करें

Travel Insurance FAQ

 

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